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क्या आपने कभी सोचा है कि सारी सुविधाओं के बावजूद हमारे भीतर एक तनाव और बेचैनी क्यों बनी रहती है? हम लगातार कुछ न कुछ खोजते रहते हैं, भागते रहते हैं, लेकिन सुकून का अनुभव नहीं होता।
हर दिन हम सुबह उठते हैं, काम में जुट जाते हैं, और राहत पाने के लिए कभी मनोरंजन, कभी सोशल मीडिया, तो कभी छुट्टियों की ओर दौड़ पड़ते हैं। फिर भी भीतर कहीं एक खालीपन, एक अधूरी-सी अनुभूति बनी रहती है। डर, तनाव और चिंता जैसे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं।
ऋषि-मुनि और शास्त्र कहते हैं कि सच्ची शांति हमारे भीतर है। तो फिर ऐसा क्या है जो हमें अपने ही भीतर की शांति से दूर रखता है? और यह "भीतर" है कहाँ? हमें यह दिखाई क्यों नहीं देता?
भीतर की पुकार - स्वयं के दर्शन
यह पाँच दिवसीय रिट्रीट एक निमंत्रण है – रुकने का, भीतर झाँकने का, और स्वयं से फिर से जुड़ने का।
यह कोई नया दर्शन, मान्यता या ध्यान की तकनीक सिखाने के लिए नहीं है। यह एक ऐसा अवसर है जहाँ हम यह देखेंगे कि क्या है जो हमें हमारे सच्चे स्वरूप और अंदर की शांति से दूर रखता है, और कैसे हम उस सुकून से फिर से जुड़ सकते हैं जो पहले से ही हमारे भीतर मौजूद है।
जीवन बहुत गंभीर हो गया है, और हम इसे और भारी नहीं बनाना चाहते। यह रिट्रीट एक मौका है साथ मिलकर हँसने, नाचने, गाने, खेलने, सवाल पूछने और ध्यान करने का। इन पाँच दिनों में हम देखेंगे कि जीवन के साथ सहजता और प्रवाह में कैसे चला जा सकता है। पाँच दिनों का यह अवसर जीवन की दौड़ से कुछ समय निकालकर, भीतर की शांति से जुड़ने के लिए है, उस सुकून से, जो हमेशा हमारे साथ होता है लेकिन अक्सर अनदेखा रह जाता है।
– रमन
क्या आपने कभी सोचा है कि सारी सुविधाओं के बावजूद हमारे भीतर एक तनाव और बेचैनी क्यों बनी रहती है? हम लगातार कुछ न कुछ खोजते रहते हैं, भागते रहते हैं, लेकिन सुकून का अनुभव नहीं होता।
हम सुबह उठते हैं, काम में जुट जाते हैं, और राहत पाने के लिए कभी मनोरंजन, कभी सोशल मीडिया, तो कभी छुट्टियों की ओर दौड़ पड़ते हैं। फिर भी भीतर कहीं एक खालीपन, एक अधूरी-सी अनुभूति बनी रहती है।
ऋषि-मुनि और शास्त्र कहते हैं कि सच्ची शांति हमारे भीतर है। तो फिर ऐसा क्या है जो हमें अपने ही भीतर की शांति से दूर रखता है? और यह "भीतर" है कहाँ? हमें यह दिखाई क्यों नहीं देता?
भीतर की पुकार - स्वयं के दर्शन
यह पाँच दिवसीय रिट्रीट एक निमंत्रण है—रुकने का, भीतर झाँकने का, और स्वयं से फिर से जुड़ने का।
यह कोई नया दर्शन, मान्यता या ध्यान की तकनीक सिखाने के लिए नहीं है। यह एक ऐसा अवसर है जहाँ हम यह देखेंगे कि क्या है जो हमें हमारे सच्चे स्वरूप और अंदर की शांति से दूर रखता है — और कैसे हम उस सुकून से फिर से जुड़ सकते हैं ।
जीवन बहुत गंभीर हो गया है — और हम इसे और भारी नहीं बनाना चाहते। यह रिट्रीट एक मौका है साथ मिलकर हँसने, नाचने, गाने, खेलने, सवाल पूछने और ध्यान करने का। यह अवसर जीवन की दौड़ से कुछ समय निकालकर, भीतर की शांति से जुड़ने के लिए है, जो हमेशा हमारे साथ होता है लेकिन अक्सर अनदेखा रह जाता है।
– रमन